क्वांट क्विज : एस.एस.सी.सी.जी.एल
2015
प्रिय पाठकों
आज हम इस पोस्ट में आपको क्वांट सेक्शन से ज्यामिति (Geometry) सम्बन्धी सभी आवश्यक सूत्र एवं अवधारणाओं को उपलब्ध करा रहे है l आप आगामी एस एस सी सी जी एल की परीक्षा के लिए इन्हें ध्यान में रखे l हम ये कहते है कि एस एस सी सी जी एल, एस एस सी सी पी ओ और अन्य सरकारी नौकरियो के लिए आयोजित होने वाली परीक्षो के लिए उपयोगी है l
ज्यामिति के मौलिक अवधारणाये
बिंदु : यह सटीक स्थान होता है l यह एक स्पष्ट बिंदी होती है, जिसकी न तो लम्बाई होती है, न चौडाई होती है परन्तु स्थिति होती है यानी, इसका परिमाण है।
रेखा खंड
: A और B दो बिन्दुयों को जोड़ने वाले वाला पथ, जो रेखा खंड AB कहलाता है l इसके दो निर्धारित बिंदु होते है और निर्धारित लम्बाई होती है l
प्रतिच्छेद रेखा (Intersecting lines) : दो रेखा जिनका एक ही उभयनिष्ठ बिंदु होता है प्रतिच्छेद रेखा कहलाती है l उभयनिष्ठ बिंदु को प्रतिच्छेद बिंदु कहते हैं l
समरूपी रेखा : यदि दो या दो से अधिक रेखाए एक ही बिंदु पर एक दूसरे को कटती हैं, फिर वे समरूपी रेखाओं के रूप में जाना जाता है l
कोण : दो सीधी रेखाएं एक बिंदु पर मिलती हैं तो वे कोण बनती हैं l
सम-कोण : वह कोण जिसकी माप 90° होती है l सम-कोण कहलाता है l
न्यून कोण : वह कोण जिसकी माप सम-कोण (यानी, कम से कम 90 °) से कम होती, उसे न्यून कोण कहते हैं l
अधिक कोण : वह कोण जिसकी माप एक सम-कोण से अधिक और दो सम-कोण से कम होती है (यानी, कम से कम 180 ° और अधिक से अधिक 90 डिग्री) उसे अधिक कोण कहते हैं l
प्रतिवर्त कोण : वह कोण जिसका माप 180° से अधिक डिग्री और 360° कम से कम होती है उसे प्रतिवर्त कोण कहा जाता है।
संपूरक कोण : यदि दो कोणों का योग एक सम-कोण (अर्थात 90 °) होता है तो इन्हें संपूरक कोण कोण कहते है l एक कोण के संपूरक θ, 90° - θ के सामान होते है l
पूरक कोण (Supplementary angles) : दो कोणों पूरक कहा जायेगा, यदि उनका योग 180° हो तो l उदाहरण 130° और 50° की माप पूरक कोण है l दो पूरक कोण एक दुसरे के पूरक होते है l इसलिए एक कोण θ का पूरक 180° - θ बराबर होता है l
शीर्षाभिमुख कोण : जब दो सीधी रेखाए एक दुसरे को कटती है, तो इनके द्वार बने प्रतिमुख कोणों के युग्मों को शीर्षाभिमुख कोण कहते है l
कोण के द्विभाजक : जब कोण के शिखर से होकर गुजरने वाली एक किरण या सीधी रेखा, उस कोण को बराबर माप के दो कोण में बांटटी है, तो उस पंक्ति को कोण के द्विभाजक के रूप में जाना जाता है।
समांतर रेखा: दो रखायें समांतर हैं यदि वे समतलीय हैं, और वे एक दूसरे को नहीं काटती यद्यपि उन्हें दोनों तरफ से बढाया जाये।
तिर्यक रेखा: तिर्यक रेखा वह है जो दो अथवा अधिक समतलीय रेखाओं को भिन्न बिन्दुओं पर काटती अथवा विच्छेदित करती है|
1.नीचे दी गयी आकृति में,
PQ और RS दो समांतर रेखाएं है और AB एक तिर्यक रेखा है|
AC और BC, ∠BAQ और ∠ABS कोण के क्रमश: समद्विभाजक हैं| यदि ∠BAC
= 30°, ज्ञात करें ∠ABC और ∠ACB.
A. 60° और 90°
B. 30° और 120°
C. 60° और 30°D. 30° और 90°
2.1. यदि वृत्त A की 45° की चाप की लम्बाई वृत्त B की 60° की चाप के समान है| वृत्त Aऔर वृत्त B की चाप का अनुपात क्या है|
A. 16/8
B. 16/9
C. 8/16
D. 9/16
3.नीचे दी गयी आकृति में, रेखा AB और DE समांतर हैं| ∠CDE का मन क्या होगा?
A. 60°
B. 120°
C. 30°D. 150°
4.नीचे दी आकृति में a + b का मान ज्ञात करें:
A. 60°
B. 120°
C. 80°D. 150°
5.बिंदु D, E और F त्रिभुज ABC की भुजाओं को अनुपात 1:
3, 1: 4, और 1: 1 में दिखाए गए के अनुसार विभाजित करते हैं| त्रिभुज ABC के क्षेत्र का कौन सा भिन्न त्रिभुज DEF के क्षेत्रफल को दर्शाता है?
A. 16/40
B. 13/40
C. 14/16
D. 12/16
हल:
1(A): ∠BAQ + ∠ABS = 180° [Supplementary angles]
⇒∠BAQ/2
+ ∠ABS/2 = 180°/2=90°⇒∠BAC+ ∠ABC= 90°
Therefore, ∠ABC = 60° and ∠ACB = 90°.
2.(B): Let the radius of circle A be r1 and that of
circle B be r2.
45/360 x 2π x r1 =
60/360 x 2πx r2 => r1/r2= 4/3
Ratio of areas
=πr1^2/πr2^2 = 16/9
3(D): We draw a line CF // DE at C, as shown in the figure below.
∠BCF = ∠ABC = 55° ⇒ ∠DCF = 30°.
⇒ CDE = 180° − 30° = 150°.
4.(C) In the above
figure, ∠CED = 180° − 125° = 55°. ∠ACD is the exterior angle of ΔABC. Therefore,
∠ACD = a + 45°. In ΔCED, a + 45° + 55° + b = 180° ⇒ a + b = 80°
5.(B)AreaΔ ADE/Area ΔABC = (1x3)/(4x5)=3/20,
AreaΔ BDF/Area ΔABC =
(1x1)/(4x2)=1/8,
AreaΔ CFE/Area ΔABC =
(4x1)/(5x2)=2/5,
Therefore, AreaΔ DEF/Area ΔABC =
1-(3/20+1/8+2/5)=13/40
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