Friday, 4 September 2015

Dadich77 RMD, Math in Hindi Language SSC CGL FCI 41

ज्यामिति संकल्पना भाग -II
प्रिय पाठकों


             आज हम इस पोस्ट में आपको क्वांट सेक्शन के अंतर्गत आने वाली रेखागणित और क्षेत्रमिति से सम्बंधित महत्वपूर्ण एवं आवश्यक सूत्रों और अवधारणाओं को उपलब्ध करा रहे हैं l   

त्रिभुज : त्रिभुज तीन भुजाओं और तिन कोणों से युक्त बंद आकृति होती है|


त्रिभुजों का सामान्य गुण:

त्रिभुत की दो भुजाओ का योग तीसरी भुजा से बड़ा होता है : a + b > c, a + c > b, b + c > a
त्रिभुज के तीनो कोणों का योग = 180° होता है, त्रिभुज में A + B + C = 180° 
त्रिभुज का क्षेत्रफल
 त्रिभुज का क्षेत्रफल = 1/2 x आधार x शीर्षलम्ब =1/2 x a x h
 त्रिभुज का क्षेत्रफल = 1/2 bcsinA = 1/2ab sinC=1/2 acsinB
त्रिभुज का क्षेत्रफल = abc/4R जहाँ R परित्रिज्या  है
 त्रिभुज का क्षेत्रफल = r x s जहाँ r inradius और  s = (a+b+c)/2

सामान्य बहुभुज (REGULAR POLYGONS) :  एक सामान्य बहुभुज वो होता है, जिसकी समस्त भुजाये और सभी कोण सामान होते है l इसके सभी एक वृत्त पर स्थित होते है, जिनका केंद्र बहुभुज का केंद्र होता है l  
 सामान्य बहुभुज के प्रत्येक आंतरिक कोण = 180(n-2)/n
 सामान्य बहुभुज बहुभुज के सभी कोणों का योग = n x180(n- 2)/n = 180(n-2).
चतुर्भुज: कोई भी बंद आकृति, जिसकी चार भुजाये होती है, वह चतुर्भुज होती है l चतुर्भुज के कोणों का योग 360° होता है, कुछ परिचित चतुर्भुज हैं वर्गआयतचतुर्भुजसमानांतर चतुर्भुज और समचतुर्भुज l  ,     
वर्ग : वर्ग सामान्य चतुर्भुज होता है जिसके सभी चार सम-कोण और समानांतर रेखाएं होती है l वर्ग कि भुजाएं सम कोण पर आकर मिलती है l इसके विकर्ण लम्ब रूप में एक दुसरे को सम-द्विभाजित कर्ट है l        
यदि वर्ग की भुजा a है, तो इसका  
 परिमाप = 4a,
 क्षेत्रफल  = a^2 और विकर्णों की लम्बाई का योग  = √2a विकर्ण

आयत : एक आयत इसके कोणों समान्तर होता है, समकोण होते है l  
 आयत का क्षेत्रफल  = लम्बाई  × चोड़ाई
परिमाप  = 2(लम्बाई और चोड़ाई का योग )

समानांतर चतुर्भुज  समानांतर चतुर्भुज : समांतर चतुर्भुज वह चतुर्भुज होता है, जिसकी विपरीत भुजाये सामान और समांतर होती l समानांतर चतुर्भुज की कोई दो विपरीत भुजाये उसका आधार कहलाती हैं, और इनके बीच की दुरी को इसकी ऊंचाई कहते है l

 समानांतर चतुर्भुज का क्षेत्रफल आधार × ऊंचाई
 परिमाप = 2(दो क्रमागत भुजाओं का योग)

समचतुर्भुज : यदि किसी चतुर्भुज की सभी समांतर भुजाएं सामान होती है, तो इसे समचतुर्भुज कहते है
 समचतुर्भुज  का क्षेत्रफल = ½ विकर्णों का गुणफल 
 परिमाप = 4a,
समलम्ब समचतुर्भुज : समलम्ब समचतुर्भुज वह चतुर्भुज होता है जिसकी विपरीत भुजाएं समांतर होती है l    
 समलम्ब समचतुर्भुज का क्षेत्रफल  = 1/2(समानांतर भुजाओं का योग) ऊंचाई

वृत्त : वृत्त किसी समतल पर सभी बिन्द्यों का समुच्चय होता जोकि किसी नियत बिंदु से समान दुरी पर स्थित होते हैं| l नियत बिंदु को वृत्त का केंद्र कहते हैं और केंद्र से समान दुरी को त्रिज्या कहते हैं l   
चाप : एक चाप एक वक्र रेखा होती है की वृत्त परिधि का हिस्सा होती है l लघु चाप अर्धवृत से कम होती है और दीर्ध चाप अर्धवृत से अधिक होती है l    
जीवा (Chord)  जीवा वृत्त के भीतर  एक ऐसा रेखा खंड है जो वृत्त के दो बिन्दुओं को छूता है
जीवा वृत्त के भीतर वह रेखा खंड होता है जोकि वृत्त के दो बिन्द्यों को स्पर्श करता है l
वृत्त का व्यास : किसी वृत्त के दो छोरो के बीच के सर्वाधिक दुरी को वृत्त के व्यास के रूप में जाना जाता है l यह वृत्त की त्रिज्या का दुगुना होता है l   

वृत्त की परिधि : वृत्त का परिमाप वृत्त की परिधि कहलाता है l
  वृत्त की परिधि = 2πr, जहाँ r वृत्त की त्रिज्या है l   
 • वृत्त का क्षेत्रफल = π x (त्रिज्या)^2 = πr^2.
वृत्त खंड : खंड पाई (एक परिपत्र कील) के एक टुकड़ा की तरह है
वृत्त खंड का क्षेत्रफल  = (वृतिय कोण θ के साथ) क्षेत्र = θ/360 xπ x r^2
वृत्त की चाप के लम्बाई = (वृतिय कोण θ के साथ) वृत्त की चाप के लम्बाई = θ/360 x2π x r   
वृत्त की स्पर्शरेखा : वृत्त की त्रिज्या पर लम्बवतीय रेखा जोकि वृत्त के केवल एक ही बिंदु को स्पर्श करती है l  

घनाभ : एक समांतर फलकीय आकृति जिसके पृष्ठ आयताकार होते है, उसे घनाभ कहा जाता है l घनाभ से जुड़े तीन आयाम, इसकी लम्बाई, चौड़ाई और ऊंचाई हैं (जिन्हें यहाँl, b और h के रूप में निरूपित किया जाता है )
• घनाभ की कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल  = 2(lb + bh + hl)
• घनाभ का आयतन = lbh

घन: घन एक समांतर फलकीय आकृति जिसके सभी पृष्ठ वर्गाकार होते है l
 घन का पृष्ठीय क्षेत्रफल  = 6a^2
• घन का आयतन = a^3

सम वृतीय बेलन (Right Circular Cylinder) : सम वृतीय बेलन समपार्श्व आकृति होती है, जिसके आधार वृतिये होते हैं, बेलन के आधार की त्रिज्या r और ऊंचाई h होती है l        
 सिलेंडर की वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2πrh
• सिलेंडर का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2πrh + 2πr^2
• बेलन का आयतन = πr^2h


सम वृतीय शंकु :  सम वृतीय शंकु एक पिरामिड के आकार की आकृति होती है l शंकु  के आधार की त्रिज्या r और ऊंचाई h होती है l
 
 शंकु का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = πrl  
• शंकु का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल = πrl + πr^2
• शंकु का आयतन  =1/3πr^2h

गोला : गोला किसी स्थान पर सभी बिन्द्यों का समुच्चय होता जोकि किसी नियत बिंदु से समान दुरी पर स्थित होते हैं नियत बिंदु को गोले का केंद्र कहते हैं और केंद्र से समान दुरी को त्रिज्या कहते हैं l
 गोले का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 4πr^2

• गोले का आयतन = 4/3πr^3

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