ज्यामिति संकल्पना भाग -II
प्रिय पाठकों
आज हम इस पोस्ट में आपको क्वांट सेक्शन के अंतर्गत आने वाली रेखागणित और क्षेत्रमिति से सम्बंधित महत्वपूर्ण एवं आवश्यक सूत्रों और अवधारणाओं को उपलब्ध करा रहे हैं l
त्रिभुज : त्रिभुज तीन भुजाओं और तिन कोणों से युक्त बंद आकृति होती है|
त्रिभुजों का सामान्य गुण:
त्रिभुत की दो भुजाओ का योग तीसरी भुजा से बड़ा होता है : a + b > c, a + c > b, b + c > a
त्रिभुज के तीनो कोणों का योग = 180° होता है, त्रिभुज में ∠A + ∠B + ∠C = 180°
त्रिभुज का क्षेत्रफल
• त्रिभुज का क्षेत्रफल = 1/2 x आधार x शीर्षलम्ब =1/2 x a x h
•त्रिभुज का क्षेत्रफल = abc/4R जहाँ R परित्रिज्या है
• त्रिभुज का क्षेत्रफल =
r x s जहाँ r inradius और s = (a+b+c)/2
सामान्य बहुभुज (REGULAR POLYGONS) : एक सामान्य बहुभुज वो होता है, जिसकी समस्त भुजाये और सभी कोण सामान होते है l इसके सभी एक वृत्त पर स्थित होते है, जिनका केंद्र बहुभुज का केंद्र होता है l
• सामान्य बहुभुज के प्रत्येक आंतरिक कोण = 180(n-2)/n
• सामान्य बहुभुज बहुभुज के सभी कोणों का योग = n x180(n- 2)/n = 180(n-2).
• सामान्य बहुभुज बहुभुज के सभी कोणों का योग = n x180(n- 2)/n = 180(n-2).
चतुर्भुज: कोई भी बंद आकृति, जिसकी चार भुजाये होती है, वह चतुर्भुज होती है l चतुर्भुज के कोणों का योग 360° होता है, कुछ परिचित चतुर्भुज हैं वर्ग, आयत, चतुर्भुज, समानांतर चतुर्भुज और समचतुर्भुज l
,
वर्ग : वर्ग सामान्य चतुर्भुज होता है जिसके सभी चार सम-कोण और समानांतर रेखाएं होती है l वर्ग कि भुजाएं सम कोण पर आकर मिलती है l इसके विकर्ण लम्ब रूप में एक दुसरे को सम-द्विभाजित कर्ट है l
यदि वर्ग की भुजा a है, तो इसका
• परिमाप = 4a,
• क्षेत्रफल = a^2 और विकर्णों की लम्बाई का योग = √2a विकर्ण
आयत : एक आयत इसके कोणों समान्तर होता है, समकोण होते है l
• आयत का क्षेत्रफल = लम्बाई × चोड़ाई
•परिमाप = 2(लम्बाई और चोड़ाई का योग )
समानांतर चतुर्भुज : समानांतर चतुर्भुज : समांतर चतुर्भुज वह चतुर्भुज होता है, जिसकी विपरीत भुजाये सामान और समांतर होती l समानांतर चतुर्भुज की कोई दो विपरीत भुजाये उसका आधार कहलाती हैं, और इनके बीच की दुरी को इसकी ऊंचाई कहते है l
• समानांतर चतुर्भुज का क्षेत्रफल = आधार × ऊंचाई
• परिमाप = 2(दो क्रमागत भुजाओं का योग)
समचतुर्भुज : यदि किसी चतुर्भुज की सभी समांतर भुजाएं सामान होती है, तो इसे समचतुर्भुज कहते हैl
• समचतुर्भुज का क्षेत्रफल = ½ विकर्णों का गुणफल
• परिमाप = 4a,
समलम्ब समचतुर्भुज : समलम्ब समचतुर्भुज वह चतुर्भुज होता है जिसकी विपरीत भुजाएं समांतर होती है l
• समलम्ब समचतुर्भुज का क्षेत्रफल = 1/2(समानांतर भुजाओं का योग) ऊंचाई
वृत्त : वृत्त किसी समतल पर सभी बिन्द्यों का समुच्चय होता जोकि किसी नियत बिंदु से समान दुरी पर स्थित होते हैं| l नियत बिंदु को वृत्त का केंद्र कहते हैं और केंद्र से समान दुरी को त्रिज्या कहते हैं l
चाप : एक चाप एक वक्र रेखा होती है की वृत्त परिधि का हिस्सा होती है l लघु चाप अर्धवृत से कम होती है और दीर्ध चाप अर्धवृत से अधिक होती है l
जीवा (Chord) : जीवा वृत्त के भीतर एक ऐसा रेखा खंड है जो वृत्त के दो बिन्दुओं को छूता है|
जीवा वृत्त के भीतर वह रेखा खंड होता है जोकि वृत्त के दो बिन्द्यों को स्पर्श करता है l
वृत्त का व्यास : किसी वृत्त के दो छोरो के बीच के सर्वाधिक दुरी को वृत्त के व्यास के रूप में जाना जाता है l यह वृत्त की त्रिज्या का दुगुना होता है l
जीवा वृत्त के भीतर वह रेखा खंड होता है जोकि वृत्त के दो बिन्द्यों को स्पर्श करता है l
वृत्त का व्यास : किसी वृत्त के दो छोरो के बीच के सर्वाधिक दुरी को वृत्त के व्यास के रूप में जाना जाता है l यह वृत्त की त्रिज्या का दुगुना होता है l
वृत्त की परिधि : वृत्त का परिमाप वृत्त की परिधि कहलाता है l
• वृत्त की परिधि =
2πr, जहाँ r वृत्त की त्रिज्या है l
• वृत्त का क्षेत्रफल = π x (त्रिज्या)^2
= πr^2.
वृत्त खंड : खंड पाई (एक परिपत्र कील) के एक टुकड़ा की तरह है
वृत्त खंड का क्षेत्रफल = (वृतिय कोण θ के साथ) क्षेत्र = θ/360 xπ x r^2
वृत्त की चाप के लम्बाई = (वृतिय कोण θ के साथ) वृत्त की चाप के लम्बाई = θ/360
x2π x
r
वृत्त की स्पर्शरेखा : वृत्त की त्रिज्या पर लम्बवतीय रेखा जोकि वृत्त के केवल एक ही बिंदु को स्पर्श करती है l
घनाभ : एक समांतर फलकीय आकृति जिसके पृष्ठ आयताकार होते है, उसे घनाभ कहा जाता है l घनाभ से जुड़े तीन आयाम, इसकी लम्बाई, चौड़ाई और ऊंचाई हैं (जिन्हें यहाँl,
b और h के रूप में निरूपित किया जाता है )
• घनाभ की कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2(lb + bh + hl)
• घनाभ का आयतन = lbh
घन: घन एक समांतर फलकीय आकृति जिसके सभी पृष्ठ वर्गाकार होते है l
• घन का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 6a^2
• घन का आयतन = a^3
सम वृतीय बेलन (Right Circular Cylinder) : सम वृतीय बेलन समपार्श्व आकृति होती है, जिसके आधार वृतिये होते हैं, बेलन के आधार की त्रिज्या r और ऊंचाई h होती है l
• सिलेंडर की वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2πrh
• सिलेंडर का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2πrh + 2πr^2
• सिलेंडर का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2πrh + 2πr^2
• बेलन का आयतन = πr^2h
सम वृतीय शंकु : सम वृतीय शंकु एक पिरामिड के आकार की आकृति होती है l शंकु के आधार की त्रिज्या r और ऊंचाई h होती है l
• शंकु का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = πrl
• शंकु का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल = πrl + πr^2
• शंकु का आयतन =1/3πr^2h
गोला : गोला किसी स्थान पर सभी बिन्द्यों का समुच्चय होता जोकि किसी नियत बिंदु से समान दुरी पर स्थित होते हैं l नियत बिंदु को गोले का केंद्र कहते हैं और केंद्र से समान दुरी को त्रिज्या कहते हैं l
• गोले का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 4πr^2
• गोले का आयतन = 4/3πr^3
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