: राष्ट्रीय
आंदोलन नोट्स :
प्रिय पाठकों,
हम आपको भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध करवाएंगे l आज हम आपको को नोट्स का भाग-1 उपलब्ध करा रहें है l
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
• इसका गठन 1885 में ए.ओ.ह्युम के द्वारा किया गया, जोकि एक सेवा निवृत लोग सेवक थे
• इसका प्रथम अधिवेशन डब्ल्यू. सी बनर्जी की अध्यक्षता में 1885 में आयोजित किया गया (इसमें 72 प्रतिनिधियों कोयह भाग लिया )
• अपनी स्थापना के प्रारंभिक दो दशको तक (1885 – 1905) इसके उद्देश्य काफी नरम बने रहे
• लेकिन अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों ने कांग्रेस के भीतर विपिन चन्द्र पाल, बाल गंगाधर तिलक और लाला
लाजपत राय (लाल, बाल, पाल) जैसे चरमपंथियों को जन्म दिया है।हम आपको भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध करवाएंगे l आज हम आपको को नोट्स का भाग-1 उपलब्ध करा रहें है l
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
• इसका गठन 1885 में ए.ओ.ह्युम के द्वारा किया गया, जोकि एक सेवा निवृत लोग सेवक थे
• इसका प्रथम अधिवेशन डब्ल्यू. सी बनर्जी की अध्यक्षता में 1885 में आयोजित किया गया (इसमें 72 प्रतिनिधियों कोयह भाग लिया )
• अपनी स्थापना के प्रारंभिक दो दशको तक (1885 – 1905) इसके उद्देश्य काफी नरम बने रहे
• लेकिन अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों ने कांग्रेस के भीतर विपिन चन्द्र पाल, बाल गंगाधर तिलक और लाला
बंगाल का विभाजन
बंगाल का विभाज लार्ड कर्ज़न के द्वारा 16 अक्टूबर 1905 में, शाही घोषणा के द्वारा किया गया l इसके अंतर्गत पुराने बंगाल में से पूर्वी बंगाल और असम दो प्रान्त बना दिए गए l इस का उद्देश्य हिन्दू और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा करना था l
स्वदेश आंदोलन
लाल, बाल, पाल और औरोबिन्दो घोष ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई l
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने सर्वप्रथम 1905, में जी.के. गोखले की अध्यक्षता में बनाराश अधिवेशन में इसकी घोषणा की l
मुस्लिम लागू की स्थापना (1906)
दिसम्बर 1906 में, आगा खान, ढाका के नवाब सलीमुल्लाह और नबाव मोहसिन-उल-मुल्क के नेतृत्त्व में ढाका में मुस्लिम लीग की स्थापना की गयी थी l लीग ने बंगाल के विभाजन का समर्थन किया, स्वदेशी आंदोलन का विरोध किया और अपने समुदाय के लिए विशेष सुविधायों के मांग की और मुसलमानों के लिय पृथक निर्वाचन की मांग की l
कांग्रेस का कलकत्ता अधिवेशन (1906)
दिसम्बर 1906 में दादा भाई नोरोजी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कांग्रेस के अधिवेशन का आयोजन किया गया जिसमें ‘स्वराज’ को भारतीय लोगो के रूप में स्वीकार किया गया l नोरोजी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में घोषणा की कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रथम लक्ष्य, स्व-सरकार है, इसी सरकार जैसे की यूनाइटेड किंगडम में है
सूरत विभाजन (1907)
सूरत अधिवेशन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस तो दलों में विभाजित हो गयी यानि नरम दल और गरम दल l गरम दल का नेतृत्व तिलक, लाजपत राय, और बिपिन चन्द्र पल ने किया जबकि नरम दल का नेतृव G.K गोखले ने किया l
अलीपुर बम केस 1908
1908 में मुजफ्फरपुर के चीफ प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट डीएच किन्ग्फोर्ड को मारने के लिय एक क्रांतिकारी षड्यंत्र रचा गया l कार्य खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी को सौंपा गया था। उन्होंने मजिस्ट्रेट के घर से बाहर आते एक वाहन पर बम्ब फेंक पर इस कार्य को अंजाम दिया l
मॉर्ले-मिंटो सुधार (1909)
1909 में जब लार्ड मिन्टो वाइसराय थे और मोर्ले भारत सचिव थे उस दौरान मॉर्ले-मिंटो सुधार से अवगत कराया गया, इसमें मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन की व्यवस्था करके फुट डालो और शासन करो की निति को अपनाया गया l सुधारों के प्रावधानों के अनुसार मुसलमान केवल मुसलमान को ही वोट दे सकते थे l
1910 में लॉर्ड हार्डिंग के आगमन
1910 से 1916 तक, लॉर्ड हार्डिंग भारत ने वायसराय के रूप में कार्य किया। इसके कार्यकाल के दौरान महत्वपूर्ण घटना 1911 के दिल्ली दरबार थी
1911 का दिल्ली दरबार
1910 में, इंग्लैंड में शासन के उत्तराधिकार किंग जॉर्ज पंचम सिंहासन बैठा। 1911 में वह भारत के दौरे पर भारत आया l दरबार भारत के सम्राट और साम्राज्ञी के रूप में किंग जॉर्ज पंचम और क्वीन मैरी के राज्याभिषेक के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था l इस दरबार में कलकत्ता से दिल्ली को राजधानी बनाने की घोषणा की गयी l इस दरबार में बंगाल के विभाजन को रद्द करने की घोषणा भी की गयी l
दिल्ली षड्यंत्र केस 1912
ऐसा कहा जाता है की दिल्ली षड्यंत्र केस की योजना रास बिहारी बोस के द्वारा की गयी, परन्तु या साबित नहीं हो सका l 23 दिसम्बर 1912 को वाइसराय लार्ड हार्डिंग के काफिले चांदनी चौक में बम्ब फेंका गया l वाइसराय इस प्रयास में घायल हो गया, परन्तु उसका महावत (हाथी को चलने वाला) मारा गया l
ग़दर पार्टी (1913)
इसे लाला हरदयाल, तारकनाथ दास और सोहन सिंह भकना ने मिलकर बनाया l इसका मुख्यालय सैन फ्रांसिस्को में था।
होम रूल आंदोलन (1915-16)
B. G तिलक 1914 में मंडल्ये जेल से रिहा हुए l सन 1915 में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में लौट आये l B. G तिलक ने, 28 अप्रैल, 1916 में पुणे में इंडियन होम रूल लीग की स्थापना की l ऐनी बेसेंट ने आयरिश क्रांति से प्रभावित होकर, 1916 में इसका प्रारंभ किया l उन्होंने दो समाचारपत्र प्रारंभ किये यानी न्यू इंडिया और राष्ट्रमंडल (Commonwealth) l लीग ने निष्क्रिय प्रतिरोध और सविनय अवज्ञा की वकालत की।
लार्ड चेम्सफोर्ड 1916 का आगमन
4 अप्रैल 1916 को, लार्ड चेम्सफोर्ड ने भारत के अगले वायसराय के रूप में पदभार संभाला
लखनऊ संधि-कांग्रेस-लीग संधि समझौता (1916)
हिन्दू-मुस्लिम एकता की दिशा में लखनऊ पैक एक महत्वपूर्ण कदम था l तुर्की के युद्ध के बाद मुसलमानों में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध असंतोष उत्पन्न हुआ जिससे हिंदी और मुसलमानों के बीच एकता पनपी l कांग्रेस और मुस्लिम लीग ने लखनऊ में सत्र का आयोजन किया, कांग्रेस ने पृथक निर्वाचन को स्वीकार कर लिया और दोनों देश के लिए संयुक्त रूप ‘उपनिवेशिक साम्राज्य’ (dominion status) की मांग की l
मोंटेगू घोषणा (1917 के अगस्त घोषणा)
मोंटेग ने 1917 में भारत में स्वशासन के संदर्भ में जो बयान दिया, वह स्वशासन की दिशा में मील का पत्थर बना l उसने के कहा की भारत सरकार का नियंत्रण धीरे-धीरे भारतियों के हाथ में सौंप दिया जाए l यह लखनऊ समझोते का ही परिणाम था l
1917 का चंपारण सत्याग्रह, महात्मा गाँधी का पहला सत्याग्रह था और खेडा सत्याग्रह उसके तुरंत बाद शुरू किया गया था l इन दोनों सत्याग्रहों का भारत की आज़ादी में महत्वपूर्ण स्थान था l
खेडा सत्याग्रह 1918
सन 1918 में भयंकर प्लेग फ़ैल गया और खेडा में लगभग 17000 लोग इससे प्रभाबित हुए l इसके बाद इसी स्थान पर हैजा फ़ैल गया l जो विद्रोह का तात्कालिक कारण बना l विद्रोह कर वृद्धि के खिलाफ भी था l सरकार ने कहा की यदि कर नहीं अदा किय गए तो संपतियां जप्त कर लिए जाएगी l इस आंदोलन ने सरदार पटेल जैसे लोगो को आगे आने का अवसर दिया, पटेल और उनके साथियों ने करों के विरुद्ध संधर्ष किया, जिसे सभी जाती और समुदायों के लोग इस आंदोलन के साथ जुड़े l
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