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Tuesday, 25 May 2021

भारत का भौतिक स्वरुप | भाग - 1 | By - Dinesh Sharma Geography | भारत का भूगोल | (Prepare )

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*     ट्रांस हिमालय का निर्माण हिमालय से भी पहले हो चुका था तथा यह यूरेशिया (अंगारालैंड) का भाग है।

*     ट्रांस हिमालय अधिक ऊंचाई होने के कारण वर्ष भर हिमाच्छादित रहता है जिसके कारण इस पर वनस्पति नहीं पाई जाती है।

*     काराकोरम ट्रांस हिमालय की तथा भारत की सबसे उत्तरी पर्वत श्रेणी है।

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*      काराकोरम श्रेणी पर चार ग्लेशियर हिमनद हैं।

*      1-सियाचिन        2- हिस्पर  3- बिआफो 4- बालटोरा।

*      काराकोरम श्रेणी के दक्षिण में लद्दाख श्रेणी है तथा लद्दाख श्रेणी के दक्षिण में जास्कर श्रेणी हैं।

*      लद्दाख श्रेणी पर राकापोशी चोटी है जो दुनिया की सबसे तीव्र ढाल वाली टोपी है।

*      लद्दाख श्रेणी दो नदियों श्योक नदी (उत्तर की ओर) तथा सिंधु नदी (दक्षिण की ओर) के बीच में है। श्योक सिंधु की सहायक नदी है |

*      सिंधु नदी लद्दाख एवं जास्कर पर्वत श्रेणी से प्रवाहित होते हुए पाकिस्तान में जाती है।

*      लेह सिंधु नदी के किनारे अवस्थित है।

 

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*    हिमालय की सबसे ऊंची पर्वत श्रेणी को वृहद हिमालय के नाम से जाना जाता है।

*     ट्रांस हिमालय बृहत हिमालय से शचर जोन द्वारा अलग होता है।

*     वृहद हिमालय हिमालय की सबसे ऊपरी तथा सबसे ऊंची पर्वत श्रेणी है।

*    हिमालय का विस्तार पश्चिम से नंगा पर्वत से लेकर पूर्व में नामचाबरवा पर्वत तक है नामचाबरवा पर्वत चोटी तिब्बत में है।

*     विश्व की 10 सबसे ऊंची पर्वत चोटी वृहद हिमालय पर है।

*    1- एवरेस्ट नेपाल 8848 मीटर विश्व की सबसे ऊंची चोटी

*    2- कंचनजंघासिक्किमहिमालय पर स्थित भारत की सबसे ऊंची चोटी

*    3 मकालू नेपाल

*    4- धौलागिरी नेपाल

*    हिमालय की सबसे पूर्वी पर्वत चोटी नामचाबरवा (तिब्बत)

*    हिमालय की सबसे पश्चिमी पर्वत चोटी नंगा पर्वत (j&k)

*    उत्तराखंड की पर्वत चोटी नंदा देवी, त्रिशूल, बंदरपूंछ, कामेट

*     एवरेस्ट को नेपाल में तिब्बती भाषा में चोमोलूंगमां कहते हैं। तथा इसका अर्थ पर्वतों की रानी होता है।

*    उत्तराखंड में वृहद हिमालय पर दो ग्लेशियर (हिमनद) है।

1- गंगोत्री  2- यमुनोत्री

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*    लघु हिमालय पूर्व से लेकर पश्चिम तक वृहद हिमालय के साथ-साथ विस्तृत है।

*    लघु हिमालय की पांच श्रेणियां उल्लेखनीय है।

*    1- परीपंजाल श्रेणी -( सबसे पश्चिमी श्रेणी जम्मू कश्मीर में)- परीपंजाल के उत्तर में श्रीनगर तथा दक्षिण में जम्मू है जम्मू से श्रीनगर जाने वाली सड़क बनिहाल दर्रे से होकर गुजरती है इस सड़क मार्ग को जम्मू कश्मीर सड़क मार्ग कहते हैं। परीपंजाल श्रेणी पर बनिहाल दर्रा है तथा जवाहर सुरंग बनिहाल दर्रा पर अवस्थित है।

*    2- धौलाधार श्रेणी (हिमाचल प्रदेश में) – धौलाधार श्रेणी को हिमाचल हिमालय भी कहते हैं तथा शिमला धौलाधार श्रेणी पर अवस्थित है।

*    3  मसूरी श्रेणी (उत्तराखंड में)

*     लघु हिमालय वर्ष भर हिमाच्छादित नहीं रहते हैं बल्कि गर्मी आने पर इसके चोटी के बर्फ पिघलने लगते हैं जिसके कारण इसके ढालू पर मुलायम लंबे घास के मैदान उगाते हैं अतः लघु हिमालय शीतोष्ण जलवायु क्षेत्र है इन शीतोष्ण मुलायम घास के मैदानों को जम्मू कश्मीर में मर्म के नाम से जाना जाता है (गुलमर्ग तथा सोनमर्ग) तथा उत्तराखंड में बुग्याल तथा पयाल नाम से जानते हैं।

*    लघु हिमालय शीतोष्ण जलवायु प्रदेश का क्षेत्र है जिसके कारण यहां अनके स्वास्थ्य वर्धक पर्यटन क्षेत्र हैं जैसे- गुलमर्ग, सोनमर्ग, j&k, शिमला, मनाली, डलहौजी (HP), मसूरी, नैनीताल, रानीखेत, पिंडसर (UK)

*    दो पर्वतों के बीच के निचले स्थल को घाटी कहते हैं।

*    वृहद हिमालय तथा लघु हिमालय के बीच समतल सपाट मैदान या घाटी पाई जाती हैं इन घाटियों को अलग अलग जगह पर अलग अलग नाम से जाना जाता है।

*     कश्मीर घाटी जम्मू कश्मीर (वृहद हिमालय तथा लघु हिमालय के बीच)

*     कुल्लू कांगड़ा घाटी हिमाचल प्रदेश में

*    -काठमांडू घाटी नेपाल

*     श्रीनगर, वूलर झील तथा डल झील कश्मीर घाटी में है।

*    चुंबी घाटी सिक्किम राज्य में वृहद हिमालय तथा लघु हिमालय के बीच स्थित है।

*    पूर्वी हिमालय में पश्चिमी हिमालय की तरह घाटियां नहीं पाई जाती हैं क्योंकि पूर्वी हिमालय एक दूसरे पर अध्यारोपित है, तथा इनके बीच खाली भूमि नहीं पाई जाती है।

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*         शिवालिक हिमालय की सबसे नवीन पर्वत श्रृंखला है तथा तीनों श्रृंखलाओं में सबसे कम ऊंचाई वाला क्षेत्र है।

*          शिवालिक को अस्तित्व स्वतंत्र रूप में कोसी नदी तक ही दिखाई देती है। कोशी नेपाल से निकलकर बिहार में प्रवेश करती है तथा गंगा नदी से मिलकर बांग्लादेश में चली जाती है। कोसी के पूर्व में शिवालिक लघु हिमालय से सट गई है क्योंकि पूर्वी हिमालय बहुत संकरा है। अरुणाचल प्रदेश में शिवालिक चार अलग-अलग पहाड़ियों के रूप में बिखरा हुआ नजर आता है। डफला, मिरी, अबोर और मिश्मी (पश्चिम से पूर्व की ओर) इन पहाड़ियों का नाम यहां रहने वाली जनजाति के नाम पर रखा गया है।

*        लघु हिमालय तथा शिवालिक हिमालय के बीच भी घाटियाँ अर्थात समतल सपाट मैदान पाया जाता है जिसे उत्तराखंड में दुन या दार कहा जाता है।

*         जैसेदेहरादून एवं हरिद्वार

*         हिमालय का पश्चिमी मोड़ सिंधु गार्ज के पास तथा पूर्वी मोड़ दिहांग गार्ज के पास है।

*         गार्जबिल्कुल खड़े डाल वाली घाटी को आई आकार की घाटी या गार्ज कहते हैं।

*          नदी पहाड़ को तब तक गहरा करती है जब तक वह समुद्र की सतह को प्राप्त कर ले।

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*         कश्मीर हिमालय में वैष्णो देवी का मन्दिर , अमरनाथ गुफा, जरीशरीफ है /
कुमाऊ हिमालय मुख्य रूप से उतराखंड में है / कुमाऊ हिमालय की चोटियानन्दादेवी, कमेट, त्रिशूल, ब्न्द्रपुछ, केदारनाथ, बद्रीनाथ, ; फूलो की घाटी; एवं दूँ था द्वार भी कुमाऊ हिमालय के अंतर्गत आता है /
हिमालय के सबसे उची चोटिया नेपाल हिमालय के अंतर्गत आती है /

1.     टाइगर हिल —- प० बंगाल

2.     दफ़ला हिमालय —– अरुडाचल प्रदेश

3.     मिरी पहाड़ी —- अरुडाचल प्रदेश

4.     अबोर पहाड़ीअरुडाचल प्रदेश

5.     मिस्मी पहाड़ी —- अरुडाचल प्रदेश

6.     पटकई बूम —  अरुडाचल प्रदेश

7.     नागा पहाड़ी —-  नागालैंड

8.     लैपाटोल पहाड़ीमणिपुर

9.     मिकिर पहाड़ीअसम

10.   रेगमा पहाड़ी —    असम

11.   मिजो पहाड़ीमिजोरम

12.   बरायल पहाड़ीअसम (हिमालय का भाग)

13.   गारो पहाड़ी —- मेघालय

14.   खाँसी पहाड़ीमेघालय (खाँसी पहाड़ी पर शिलांग तथा चेरापूंजी हैं)

15.   जयंतिया पहाड़ी —- मेघालय

*         गारो खाँसी जयंतिया मेघालय के जनजातियों के नाम पर हैं।

*         मेघालय पूरी तरह से पठारी क्षेत्र है। तथा गारो खांसी तथा जयंतिया पहाड़ियों को सम्मिलित रूप से मेघालय का पठार या शिलांग का पठार कहते हैं। मेघालय में मैदान नहीं पाया जाता है।

*         शिलांग पठार हिमालय का हिस्सा नहीं है क्योंकि इसके चट्टान हिमालय के चट्टान से मेल नहीं खाते हैं शिलांग पठार प्रायद्वीपीय पठार का भाग है।

*         राजमहल पहाड़ी (पश्चिम बंगाल) छोटा नागपुर पठार का पूर्वी भाग है तथा प्राचीन काल में राजमहल पहाड़ी के पूर्वी विस्तार को ही शिलांग पठार के नाम से जाना जाता है परंतु राजमहल पहाड़ी एवं शिलांग पठार के बीच गंगा एवं ब्रह्मपुत्र नदी के बहाव के कारण गैप गया है जिसे राजमहल गारो गैप कहा जाता है(मालदा गैप)|
तथा इसी के परिणाम स्वरुप बांग्लादेश के मैदानी भागों का निर्माण हुआ बांग्लादेश पूरी तरह से मैदानी देश है, यहां पर्वत, पठार और पहाड़ी नहीं पाए जाते हैं।

*        नदियों का देश — बांग्लादेश

*        नहरों का देश — पाकिस्तान

*         असम के रेगमां और मिकिर पहाड़ी हिमालय का भाग नहीं है परंतु यह शिलांग पठार का भाग है, अर्थात प्रायद्वीपीय पठार का भाग हैं।

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